खबर किसी प्रिंट मडिया कि हो या फिर इलेक्ट्रोनिक मीडिया कि क्या किसी हत्या या बलात्कार कि न्यूज़ से हम तनिक भी विचलित होते है ? हमारा मन या हंम सब को लगता है कि यह जो भी हो रहा है . इस कि वजह क्या है ? दरअसल सब मुर्दा कि ज़िन्दगी जी रहे हैं . यह हमारी आदत बन गई है कि जब तक हम पर वार नहीं होता नहीं लगता कि कोई बात हुई है, जो चिंताजनक है.यही कारण है कि कहीं अमीर कि औलाद तो कही नेता और मिनिस्टर जब और जहाँ चाहते हैं बलात्कार कर कानून को ठेंगा दिखा जाता है. कारण कि वो जानता है कि कानून का रखवाला वही है, फिर डर किसका ?अब आप क्या कहना चाहते और सोचते हैं. हम भी आप से जानना चाहेंगे . आप कि राय कथासागर पत्रिका मै प्रिंट होगी आप के नाम के साथ .
हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
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इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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