Sunday, February 13, 2011

यादों  के चिराग  

तुम्हारा मुस्कुराना
साथ साथ पलाश का खिलना
मैं रहूँ न रहूँ /तुम  घर आती रहना
जब तुम आओगी ...
जल उठेंगी तमाम रोशनियाँ / 

और यादों के चिराग
हवाएँ /बन सदायें /मन के राग
महक - महक मदमस्त ख्वाब
तुम मानो या न मानो
मैं मान  लूँगा इसको  ही
अपनी मुहब्बत का एक जवाब
सच  तब  पूरा होगा मेरा
ख्वाब...!

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