यादों के चिराग
तुम्हारा मुस्कुराना
साथ साथ पलाश का खिलना
मैं रहूँ न रहूँ /तुम घर आती रहना
जब तुम आओगी ...
जल उठेंगी तमाम रोशनियाँ /
और यादों के चिराग
हवाएँ /बन सदायें /मन के राग
महक - महक मदमस्त ख्वाब
तुम मानो या न मानो
मैं मान लूँगा इसको ही
अपनी मुहब्बत का एक जवाब
सच तब पूरा होगा मेरा
ख्वाब...!
तुम्हारा मुस्कुराना
साथ साथ पलाश का खिलना
मैं रहूँ न रहूँ /तुम घर आती रहना
जब तुम आओगी ...
जल उठेंगी तमाम रोशनियाँ /
और यादों के चिराग
हवाएँ /बन सदायें /मन के राग
महक - महक मदमस्त ख्वाब
तुम मानो या न मानो
मैं मान लूँगा इसको ही
अपनी मुहब्बत का एक जवाब
सच तब पूरा होगा मेरा
ख्वाब...!
No comments:
Post a Comment